कर गये थे कभी साथ जीने का वादा, वो ही आज हमसे हर रीस्ता तोड गई। । बडा अजीब इस्तपाक है, स्वार्थ मे लोग इस तरह पलट जाते है।।

Hindi Shayri by Hemant Pandya : 111503979

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