आओ #संतुलन बनाते हैं,
मेरी प्रीत और तुम्हारी रीत में।
आओ #संतुलन बनाते हैं,
मेरी हार और तुम्हारी जीत में।
आओ #संतुलन बनाते हैं,
तुम्हारी बाँसुरी और मेरे गीत में।
आओ #संतुलन बनाते हैं,
तुम्हारे मौन और मेरी वाचालता में।
आओ #संतुलन बनाते हैं,
दूर रहने और साथ जीने में।
आओ #संतुलन बनाते हैं,
खारे जल से भरे नयनों,
और मुस्कराते अधरों में।
यही तो जीवन है #कृष्ण ।।

Hindi Poem by Meenakshi Dikshit : 111500403

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