आज फ़िर से तेरा ज़िक्र हुआ
तु केसा होगा ये फ़िक्र हुआ...

तु जिसे मेरा हमसफ़र बनना है
तु जिसे मेरे साथ जिना है

तु जो मेरे लिए चाँद-तारे ना तोडे
पर जो छत पे मेरे साथ तारे गिने

तु जो खुशिया मेरे कदमो मे ना डाले
पर मुजे मेरी दुनिया से दूर ना करे...

तु जो भले, हर कदम मेरे साथ ना चले
पर मेरे उठाए कोइ कदम पे सवाल ना करे

तु जो भले हि आधा पागल बन फ़िरे,
पर मेरा पुरा पागलपन जेले


तु जो भले करोडो कमाए नही,
मेहेन्गी गाडी मे घुमाए नही,
अच्छी घडि दिलाए नही,
पर जो कभी मुजे भुलाए नहि
बस जो कभी मुजे रुलाए नही


क्या एसा तु होगा
तु तुज सा ना होके
क्या मुज सा होगा
अरे सुना ना...
तु केसा होगा?

Hindi Blog by Yayawargi (Divangi Joshi) : 111500264

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