हैरान हूं मैं यह सोच कर कि,
आहत हूं मैं यह देख कर,
जीने के लिए *सामान* जरूरी है कि
*सामान* इस्तेमाल करने के लिए जीना जरूरी है।
कशमकश से जूझ रही हूं यह देख कर कि
समय केवल गुज़र रहा है कि
जिंदगी मानो एक कोने में पड़ी है
सामान की तरह ही।।

#सामान

Hindi Thought by Ruchi Modi Kakkad : 111498969
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत सुंदर..

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