"लिखावटों तक खुद को समेट रखा हैं, फैसला मेरा नहीं, दिल ने ही तय कर रखा है | छुपाने की आदत कहा, बस खुद को अपने तक समेट रखा हैं l लबो की गुज़ारिश थी, शब्दों में बया करने की, लेकिन शब्द भी कह गया मतलब तो समझाना तुम पर ही छोड़ रखा है |"

Hindi Shayri by zeba Praveen : 111498006

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