काफ़ि समय से एक दोस्त कि शादि मे व्यस्त थी कुछ लिखने का मोक नहि मिला ओर मन भी नहि किआ...
उस्को एक तोफ़ा देना था, जो पैसे देने पे भी ना मिले ओर लगे भि नायाब...
तभी शुरू से किया शुरू
हमारे रिश्ते कि निव तक पोहोची समज मे आया के स्कुल कि उस लकडे कि बेच पे बेठकर जो ख्वाब बुने थे तो वो हि तो तेरे-मेरे किससे थे वो हि तो चंद यादो के अफ़साने थे जिनपे सिर्फ मेरा हक था
तो फ़िर केसा हो अगर उन सपनो को हि अपने हाथो से बुन के तोफ़े मे देदु...

@YouTube बाबा से ग्यान ले कर, एक पुरा इतवार खर्च कर हमने हमारा सारा स्नेह इन कचे धोगो मे बुन दिया, कुछ एसे हि दादिया नानिया भी अपने होने का एहसास छोड के जाती होगी, बस कुछ एसे हि मेने भेज दिया है खुद को रंगबिरंगी तानो-बानो मे लपेट के खुद को उस्के नये घर...

मेरी राजदार के घर...
ek dream catcher...

Hindi Blog by Yayawargi (Divangi Joshi) : 111497116

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