उजड़ी हुई दुनिया को तू आबाद न कर,
बीते हुए लम्हों को तू याद न कर,
एक कैद परिंदे ने ये कहा हम से..
मैं भुल चुका हूं उड़ना मुझे आजाद न कर!


अमृत....

Hindi Book-Review by Amrut : 111495056

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now