कुछ अधूरी ख्वाहिसे ;
कुछ सँजोये हुए यादो के लम्हें :
के दरमियां ही तो जिंदगी बसी है।

जिंदगी चलती है ख्वाहिशो के पीछे ;
और यादे छूटती है जिंदगी के पीछे ।

और इसी बीच हम जी लेते है :
जिंदगी के कुछ लम्हो को ।

अगर सब कुछ मिल जायेगा :
तो ख्वाईश किसकी करेंगे !!!

इन अधूरी ख़्वाहीशो से ही :
तो जिंदगी मुकमल है ।

Dr.Divya

Gujarati Poem by Dr.Divya : 111493368

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