#एक लेखक का दर्द.....

दर्द का दरिया,
अक्सर आँखो से बहता है,
मासूम सा दिल,
जाने कितनी चोट सहता है....

लुट के ले गए,
उस सौगात को,
जो हमारा था ही नहीं,

जो हमने सुना,
खामोशी से,
किसी ने कभी कहा ही नहीं.....

उन रास्तों पर,
जाती हैं नजरें.....
जहाँ से कोई आता ही नहीं.....

सवाल सी उठी हैं,
एक चिंगारी.....
जवाब कोई कहीं से आता ही नहीं.....

एक सोंच से निकलता,
हैं, जीवन...
एक सोंच पें ठहरा जाता ही नहीं......

गुज़रते हैं उन बस्तीयों,
से अक्सर.....
जिनमें कोई झाँकता तक नहीं......

पागल कहलाती हूँ,
जमाने में,
समझदारो का साथ रास आता ही नहीं....

मेरी दुनिया शब्दों,
में मेरे,
बहरी दुनिया से मुझे कोई वास्ता ही नहीं......

एक पहचान है,
गुमनाम सी,
शौहरत से मेरा दूर तक कोई राब्ता नहीं....!!!!! 

✍✍वर्षा अग्रवाल द्वारा रचित 🙏🙏

Hindi Poem by Varsha : 111491237
Hardik Boricha 4 years ago

Nice varsha ji... Ese hi likhte rahiye

Shiv 4 years ago

Ap ke nam wali garl ka dil etan hi sundar hota h Jamne se hat ke 👌👌👌👌

shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत मार्मिक प्रस्तुति..

The best sellers write on Matrubharti, do you?

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