क्यूं खफा होते हो यार,

पल मारते मिट जाऊंगा

नफ़रत भी इतना न दो

हजम न कर पाऊंगा

रहने दो बीते ख्यालों में

बाहर आ मिट जाऊंगा

पिछले घाव भरे कहां

जो नया सह पाऊंगा

ऐसी भी क्या खता हुई

गली से गुजरना ही छोड़ा

कितनी ओछी थी मोहब्बत

शक्ल दिखाना भी छोड़ दिया

दर्द का एहसास भी न हो

शायद, मुझे तो आज भी है

गुज़रा ज़माना भी याद नहीं

शायद, मुझे तो आज भी है

क़ैद में जीने वाले बुत न बन

खुली हवा में सांस लेने को आ

Rajat

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