फ़िल्म जगत में लोग "लकी चार्म" के बड़े दीवाने होते हैं। गोल्डन एरा की एक मशहूर हीरोइन साधना भी इससे अछूती नहीं थीं। न जाने कैसे उनके दिल में ये बैठ गया था कि उनकी फ़िल्मों के जिन गीतों में कोई न कोई सवाल (प्रश्न वाचक) जैसे कब,क्यों,कौन,कैसे,कहां, कितना... आदि रहता है तो गीत भी हिट होता है और फ़िल्म भी।
वो बताने लगे, उनकी सुपरहिट फिल्म "मेरे मेहबूब" में गाना था ' मेरे मेहबूब में क्या नहीं, क्या नहीं। फ़िल्म ज़बरदस्त हिट हुई।
वक़्त में था- 'कौन आया कि निगाहों में चमक जाग उठी' ये भी सुपरहिट।
आरज़ू में ' अजी रूठ कर अब कहां जाइएगा ' ने खूब धूम मचाई।
ज़्यादातर हीरोइनें अपने गाने रिकॉर्ड हो जाने के बाद ही सुनती थीं मगर साधना जी का संदेश अपने फ़िल्म निर्देशक पति के माध्यम से गीतकार के पास पहले ही पहुंच जाता था कि वे अपने गीत में क्या चाहती हैं!
नतीजा ये हुआ कि "अनीता" में ' कैसे करूं प्रेम की मैं बात, ना बाबा ना बाबा' लिखवाया गया।
"इंतकाम" तो उनके होम प्रोडक्शन की फिल्म ही थी तो उस में ' कैसे रहूं चुप कि मैंने पी ही क्या है ' गाना तो लिखा ही गया, एक थोड़े स्लो माने जाने वाले गीत ' गीत तेरे साज का तेरी ही आवाज़ हूं ' के अंतरे में भी गीतकार ने जोड़ा- आजा मिलके बांट लें, क्या खुशियां क्या ग़म..!
यहां तक कि एक अन्य गीत ' अा जाने जां ' में भी गीतकार ने अंतरा लिखा- दूर से कितनी अाई हूं...!
"आप आए बहार आई" में लोगों ने सुना- ' कोयल क्यों गाए, बादल क्यों छाए?'
यहां तक कि उनकी बीमारी के बाद रिलीज़ हुई फ़िल्म "वंदना" में भी लोगों को सुनाई दिया - 'आपकी इनायतें आपके करम, आप ही बताएं कैसे भूलेंगे हम?'
"इश्क़ पर ज़ोर नहीं" का ये गीत तो आपको याद होगा ही- ये दिल दीवाना है, कैसा बेदर्दी है, इसकी तो मर्ज़ी है...
उनकी ख़ुद की निर्देशित फिल्म "गीता मेरा नाम" भी इससे अछूती नहीं थी, सुनिए... ज़रा देखिए ना, ज़रा पूछिए ना, हम कौन हैं क्यों आपके साए में बैठे हैं...?
इस तरह कैसे,कौन,क्या,कहां,क्यों,कितनी..से उनके अधिकांश गीतों को सजाया गया।
...इस तरह गीतकार महाशय ने तो ये किस्सा समय गुजारने के लिए सुनाया था। पर कहते हैं कि दीवारों के भी कान होते हैं।
दर्शकों ने बाद में पद्मा खन्ना पर फिल्माए गए सुपरहिट गीत भी सुने।
- आपका सरकार क्या कुछ खो गया है ( फ़िल्म हेराफेरी में अमिताभ बच्चन के साथ)
- क्यों लायो रे सैयां पान ( फ़िल्म सौदागर में अमिताभ बच्चन के साथ)
- हुस्न के लाख रंग, कौन सा रंग देखोगे ( फ़िल्म जॉनी मेरा नाम में देवानंद के साथ)
- कहां है मेरा दीवाना, मुझे जिसने बनाया निशाना (फ़िल्म लोफर में धर्मेंद्र के साथ)