किस तरह सुनाता उसे मेरी कहानी दर्द की है,
देखो होठों पे ये बेरुखी अंजानी दर्द की है।

आह! भी जो लडकी मेरी सुन लेती हैं,
अब उससे एक बात छुपानी दर्द की हैं।

ना पता था सुहागन को की इस बार,
दूर सरहद से खबर आनी दर्द की है।

Hindi Shayri by Gadhavi Prince : 111488638

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