मेरे लबों से तुम हरबार झलकती हो।

पर तेरे लबों का तो मै पहरेदार नहीं।।

@benaam

Hindi Shayri by Er.Bhargav Joshi અડિયલ : 111488394
Brijmohan Rana 4 years ago

बेहतरीन सृजन ,वाहहहहहहहहहहहह ।

Er.Bhargav Joshi અડિયલ 4 years ago

Thanks...moni patel ....wc back to mb

Er.Bhargav Joshi અડિયલ 4 years ago

फलसफो से डरकर क्या हम राह बदल दे!? ये गुलदस्ता कांटो का है क्या चाह बदल दे!?

Bhumi Polara 4 years ago

तक्लिफ़ देति हे जो राह उस पर चलना छोड़ दे.. कांटो कि राह हे ये यहा फ़ुलो से वास्ता तोड़ दे..

Er.Bhargav Joshi અડિયલ 4 years ago

बाते चाहने वालो की हम अक्सर किया करते है। नम आंखों से भी हम अक्सर हंस लिया करते है।।

Bhumi Polara 4 years ago

ऐक हि इन्सान का जिक्र मत्. किया करो... आपको चाहने वाले भि होगे ...,,, कभी कभी उसकि बात भि किया करो..

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