फिर ये काली रात गहराई,
नींद से हुई है फिर रुसवाई !
चन्द लम्हे मील थे खुशियो के,
छीनकर जिंदगी, फिर गमो का साया लाई !
पूछना चाहता हु उस बेरहम खुदा से,
कितनी करवाएगा तू जिन्दगी की भरपाई ?
एक एक पल में मर रहा हु सो सो बार,
मेरे भोलेपन की तूने कीमत यही चुकाई ?
कहते है प्यार के बदले मिलता है प्यार,
तो मेरी ही किस्मत में क्यो लिखी तन्हाई ?
अगर उत्तर हो मेरे सवाल का तो बता देना ऊपरवाले,
बहुत सह लिया मेने, अब पूछने की मेरी बारी आई !
- नीरव पटेल "श्याम"