तुम्हारे बारे में लिखूं भी तो क्या लिखू,
तुम तो बिल्कुल उस चाँद की तरह हो,
जिसमे खुबसूरती भी है,
नूर भी है,
गुरुर भी है,
और मुजसे दूर भी है ।।

अगर बात करू तेरी आंखो की तो उसमे मिलावट है ईतर और सराब की,
कभी महेक जाता हू
तो कभी बहेक जाता हू ।।

मना की तुम दूर हो मुजसे पर एक बात याद रखना जैसे रेत की जरुरत हर रेगिस्तान को होती है,
सितारों की जरुरत हर आसमान को होती है,
वैसे ही तुम्हारी जरुरत हमे भी होती है ।।

और मना की हमे मनाना नही आता पर वादा है आपसे कभी खफा ना होने देंगे हमसे ।

Hindi Poem by PřäĐéèP : 111487798

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