फिर उमंग कोई नयी लाया है
आज फिर इश्क़ याद आया है
अहसास मदहोशी के बेहिसाब है
सावन का महीना जो आया है

हसरतों की बूंदें बरसने लगी है
ख्वाहिशों को कोई पखं लगा आया है
कोने में सिमटी पड़ी थी जो यादें
फिर कोई बिखरा आया है

धुधंली सी तस्वीर बन रही है
उसी पीपल के नीचे 'हया' लेकर
मोर पंख फैलाकर कह रहा है
'लौट आ इधर, तेरा महबूब आया है

#M -kay

Hindi Shayri by M-kay : 111487490

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