महंगाई की मार हाल-वे- हॉल
***********
तुम ही कुछ रास्ता बताओ मेरे अब श्री भगवान,
कैसे चालाऊ में अपने घर-परिवार- छोटी दुकान ।

महंगाई मार रही चहु-ओर नही है अब राहत,
मिल जाये रूखी-सुखी बस नही कोई चाहत ।

घर-दूवार की गाड़ी तो अब जैसे तैसे चलानी होगी,
घर में हुई सयानी वेटी पूंजी उधार भी व्यहनी होगी,

तिनके तिनके से थोड़ी-थोड़ी जोड़ी थी बचत की पूंजी,
पेट की आग परिवार की उसी से अब बुझानी तो होगी ।

कह "कमल" कविराय भगवान अब राहत की आस दो,
चलती रहे घर परिवार की गाड़ी ऐसा मंत्र सिद्ध करा दो ।
*************कमलेश शर्मा "कमल"**************
25-06-2020 ( सीहोर )
********************************************
#उष्ण

Hindi Poem by कमलेश शर्मा कमल सीहोर म.प्र : 111486170
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

जोरदार... अभिव्यक्ति

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now