कहने को तो सब है यहा
बस एक तेरी कमी सी खलती है ।

ये भरी हुई महफ़िल तेरे बिना खाली सी लगती है ।

ना तूम आये नाही तुम्हारा कोई पैगाम ।

तुमको देखनी की आरजू में खुदको यू सजाये बैठे
है ।

निगाहों में तुम्हारी तस्वीर है और होठो पे तुम्हारा नाम।

लब्ज अब थक चुके है ले ले के तुम्हारा
नाम ।

dr.divya

Gujarati Poem by Dr.Divya : 111485376

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