मौत और जिंदगी
एक रात मेरी मौत से मुलाकात हो गई
हाल पूछा, फिर थोड़ी सी बात हो गई
उलझन में थी, कोई घर ढूंढ रही थी
वो मै ही था, जिसे नजर ढूंढ रही थी
कहने लगी, तुम बहुत सता रहे हो
क़यामत खड़ी है, फिर भी मुस्कुरा रहे हो
आज तुम्हे जिंदगी से दूर जाना है
जिंदगी को छोड़ मौत अपनाना है
ये आलम, ये हस्ती
ये जीवन, ये मस्ती
तुझपर सब कुछ वार दूंगा
चल मेरे घर, तुझे एक उपहार दूंगा
लाल जोड़े में तेरा दीदार करना है
तू मेरी है, तुझे प्यार करना है
कह गई है आऊंगी आज जाने दो
मेरा इंतजार करो, खुद को मुस्कुराने दो
अब तक मै उसका इंतजार कर रहा हूं
मौत ना सही जिंदगी से प्यार कर रहा हूं
।। ज्योति प्रकाश राय ।।