ऐ पिता तुम्हे शत-शत वन्दन,

अभिन्दन है शत अभिन्दन ।
तुम सागर से गम्भीर रहे ,
मन पीडा. तल मे छिपा रहे।
तुम बने रहे अम्बर समान ,
सबकी हरते पीडा महान ।
अपने तन की परवाह न कर ,
श्रम करके काटे तीन प्रहर ।
वो दिन भी मुझको याद अभी ,
दी प्यार की पुचकी, डाट कडी. ।
नव नीति सिखाकर दिया ग्यान ,
मै हूँ नत मस्तक ससम्मान ।
#जवळपास

Hindi Poem by Suman Lata Singh : 111481677
Suman Lata Singh 4 years ago

धन्यवाद

Suman Lata Singh 4 years ago

आप सभी लोगो को मेरी भावभरी पँक्तियाँ पसन्द आई इसके लिये सामूहिक धन्यवाद

shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत सराहनीय एवम अति श्रेष्ठतम सृजन...

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