गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते.......
सारे जहाँ के दुख: हर लेता,
नफरत दिलों से लेता छीन
गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते.......

प्यार दिलों में कम न होता,
न होता, कोई अपनों दूर
गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते.......

अमन चैन की दुनिया होती,
दुश्मन होते दोस्त यहाँ।
नफरत की कोई जगह न होती,
चाहे दिन हो, चाहे रैन॥
गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते.......

न दौलत का लालच होता,
न सत्ता की चाहत।
सभी खुशी से रहते हरदम,
जैसे हों एक मां के बालक॥
गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते.......

तेरा - मेरा लोभ न होता,
बेटा - बेटी भेद ना होता।
न होता कोई हिंदु मुस्लिम,
रहते यहाँ सिर्फ इंसान॥
गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते.......

भाई - भाई से वैर न रखता,
न, पिता पुत्र से नफरत करता।
हर, भाई बहन की इज्जत करता,
न होते रिस्ते बदनाम॥
गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते.......

खुशियों की कोई कमीं न होती,
दूध दही की नदियां बहती।
ऊंच नीच का भाव न होता,
न कोई बालक भूंखा सोता,
सब, जैसे एक मां की संतान॥
गर जो मेरे लिखे शब्द सच हो जाते.......

#U .V.RUDRA

Hindi Poem by Uday Veer : 111478980
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत मार्मिक चित्रण...

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