#Bites on#
"जिंदा थे जब तक..."
जिंदा थे तब तक कोई ना आया
इस दर्द में शामिल होने को
आज मर गए तो कहते हैं
कभी खोला तो होता हमारे साथ
दिल के किसी कोने को
जिंदा थे तब तक कोई ना समझ पाया
दिल के जज्बात को
आज मर गए तो कहते हैं कि
हम समझ रहे हैं तुम्हारे हालात को
जिंदा थे तब तक कोई ना आया
पूछने को मेरे हाल को
आज मर गए तो फिर
ट्विटर और इंस्टा पर करते मलाल हो
जिंदा थे तब तक तो खूब डराया इस बात से
यह मत कर वह मत कर
जमाना बुरा कहेगा हर बात पे
आज जब मर गए हैं अब तो चैन से सोने दो
अब मैं तो गया अब सोच कर रोते रहना
अच्छी बुरी बात को
जिंदा थे तब तक जिंदगी के इम्तिहान खत्म नहीं होते थे
फेल ना हो जाए हम हर रात इस डर में हम सोते थे
आज जब मर गए तो कहते हैं
पास फैल में क्या रखा छोड़ देते इन सब बातों को
जिंदा थे तब तक तो खूब ताने देते थे
गलती हो या ना हो हमेशा सुनाते रहते थे
आज मर गए तो कहते हो कि
तानों और लोगों का क्या डर है तो बस यूं ही कहते रहते हैं
जिंदा थे तब तक खूब प्यार के लिए जागे थे
प्यार मिले किसी का तो इसके लिए खूब इधर-उधर भागे थे आज मर गए हैं तो कहते हो कि
पागल हो तुम जो सिर्फ प्यार के लिए जान देते हो
जिंदा थे तब तक कोई नहीं समझना चाहते थे
आज मर गए हैं तो
हजारों RIP करके हमारा स्टेटस लगाते हैं
जिंदा थे तब तक कोई ना आया साथ होने को
आज मर गए तो कहते हैं कि समझते हैं मेरे रोने को
काश समझ जाते कभी जिंदा इंसान को
तो नहीं उठानी पड़ती है कभी ऐसी किसी लाश को।
-- साक्षी जैन