#Thrilling /रोमांचकारी

प्राण बसते हैं हमारे देह की इस खोह में,
दान दाता ने दिया है ज्ञान का, सच खोजने।
बोध है, कि क्या ग़लत है और क्या होगा सही,
मगर मन चंचल भटकता इंद्रियों के मोह में।

सुख सभी मिलते उसी की प्रेरणा के ओज से,
आंख सुंदर दृश्य, रसना तृप्त होती भोज से,
घ्राण का सुख है सुगंधि, कर्ण मीठे बोल से,
मुख सुखी यदि वचन बोले शब्द सारे तोल के।

दान में इतने मिले सामान का कुछ अर्थ है,
खोज ना पाए उसे तब ये जीवन व्यर्थ है।
वही सज्जनानंद दाता पुरारि, वो त्रिपुरांतकारी,
अंत: पटल तक जो रोमांचकारी।।

Hindi Poem by Yasho Vardhan Ojha : 111477795
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अद्भुत, अप्रतिम सृजन शैली एवम अति सराहनीय...

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