#Thankful /शुक्रगुजार

गुरू तो बिता लिया है,
बस खींच-खींच कर।
और शुक्र गुजार लूंगा,
पौधों को सींच कर।
शनिवार गुज़र जाएगा,
कपड़ों को फींच कर।
अब प्रश्न है कि,
आते रविवार क्या करूं।
जो दोस्त आएं उनका,
मैं शुक्रगुजार हूं।।

Hindi Poem by Yasho Vardhan Ojha : 111477097

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