🙏✍️🌸
मायानगरी है ये दुनिया ही
नकाब पहना है सबने यहां।
उम्दा कलाकार हैं हमसभी
सच से चुराकर आंखें देखो,
कृत्रिम जीवनशैली को
समझ बैठे हैं वास्तविक जहां।
यथार्थ से होकर दूर हम
भटक गई हैं राहें कहीं।
औरों की झूठी तसल्ली के लिए
खुद को गिरवी रखते हैं सभी।
'मकान बहुत ही सुन्दर है'-
ऐसा सभी कहते हैं यहां।
दीवारों पर लगी पेंटिंग,
रंग बिरंगी टंगी तस्वीरें
खूबसूरती को हैं बढ़ाते।
पर मन एक कोना फिर भी
रह जाता खाली कहीं यहां।
इसे सजाएं कैसे, कहो अब
खुशियां, ठहाके,रिश्ते,प्यार
सहज मिलते नहीं बाजारों में।
हां, दर्द को छुपाया मुस्कानों से
तनहाई को सजाया गीतों से
ऊंचाई को छूने की चाहत ने
साथ छुड़ाया अपनों से।
सौहरत,दौलत, मकान, गाड़ियां
पाकर भी मैं रहा अकेला जहां।
विचित्र है ये दुनिया यारों
सब पाकर भी कभी कभी
खुश नहीं हो पाता मानव यहां।
तलाश खत्म होती नहीं उसकी
खुद को खो देता है वो यहां।
जिंदगी इक पहेली सी
जाने क्यों हरपल लगती यहां?
खुद की खुशी है जरूरी,
न करना खुदकुशी कभी यहां।
.....अर्चना सिंह जया

Hindi Poem by Archana Singh : 111475489
Archana Singh 3 years ago

धन्यवाद 🙏 आपका।

roopa sharma 4 years ago

बहुत खूब

Namrata Singh 4 years ago

जिंदगी की सच्चाई को बहुत संजीदगी से लिखा है आपने।

Shalini Thakur 4 years ago

अर्चना मैडम,
बहुत सुंदर लिखा है आपने।

Archana Singh 4 years ago

सधन्यवाद, आप सभी का जिन्होंने रचना को पसंद किया और सराहा है।

Brijmohan Rana 4 years ago

आदरणियाजी अर्चनाजी आप तो बहुत सुदंर लिखती हो ,सादगी के लेखनी के मोती को भी बेहतरीन सजा कर दिल मोह लिया ,सर्वश्रेष्ठ रचना ,वाहहहहहहहहहहहह ,बधाई हो ।

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now