दूर जाने की जिद छोड़ जाने की जिद ।
दे गया जख्म कुछ न बताने की जिद.।
पेंड़ की डाल को काट कर ले गया ।
उसको थी अपने आँसू सुखाने की जिद ।
मस्तियां बालपन की न विस्मृत हुई ।
तोतले उत्तरों को न मैं भूला अभी ।
अपनी बहनों के राखी के धागे बता ।
क्या कमी थी बता भूल क्या हो गयी ।
कैसे विश्वास हो कैसे अहसास हो ।
तेरी हम सबको हँसने हँसाने.की जिद ।
तेरे कंधों पर जाने का अरमान था ।
देखता तेरे बेटों में तुझको कभी ।
मुक्ति पथ पर तू निकला अकेले अरे ।
पत्थरों के हैं बुत देख ले हम सभी ।
अब कभी मूर्त होगा नही तू प्रिय ।
हमको भी है तेरे संग जाने की जिद ।

Hindi Blog by Arun Kumar Dwivedi : 111473906

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