मूवी रिव्यू
गुलाबो सिताबों

कोरोना काल के पहले, हमारी आदत थी (बच्चों के घर से बाहर जाने के बाद) हर मूवी को फर्स्ट डे देखने की। अब जब सारे मल्टीप्लेक्स बंद हैं तो हमने आज दुपहरी घर पर ही परदे खींच अंधेरा कर थियेटर वाला माहौल बना, ऐमज़ान प्राइम पर आज रिलीज होने वाली मूवी “गुलाबो सिताबों” देख ही ली।
मूवी कैसी लगी ये तो बाद में बताएंगे, पहले ये बता दें कि कौन कौन मुख्य कलाकार हैं। वही जो इंडस्ट्री के सबसे बड़े और पॉपुलर नाम हैं आज - अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना, पर फिल्म में ये दोनों हीरो नहीं हैं बल्कि हीरो है एक टूटी फूटी हवेली। सच चौंक मत जाइए, यही है हीरो यही है असली किरदार भी बाकी सब कठपुतलियाँ हैं।
अब क्या बताएं फिल्म शुरू हुई तो बहुत देर तक जबरदस्ती मन लगाना पड़ा कि आगे जरूर अच्छा होगा। घर में देखने का ये फायदा भी है कि जब मन हो जितने मन हो intervals लिया जा सकता है। पर जैसे जैसे मूवी बढ़ती गई, माहौल में हम adjust करते गयें और अंत होने के पहले फिल्म रुचिकर लगने लगी। सूजीत सरकार और कलाकारों ने निराश नहीं किया और अंत एक बड़े से स्माइल के साथ हुआ।
फिल्म खतम हो गई पर ‘गुलाबो सिताबो’, इसका मतलब हमें समझ नहीं आया। फिर यहाँ वहाँ खोजे यानि गूगल बाबा ने बताया, ये कठपुतलती वाले कहानी की दो किरदार हैं, जो लखनऊ और यूपी में खूब पॉपुलर हैं। बताया जाता है कि उनका रेफरेंस लोकल भाषा के कई के गानों और किस्से-कहानियों में आता है। सिताबों एक थकी हुई पत्नी है, जिसकी लाइफ में कोई एडवेंचर नहीं बचा, वहीं गुलाबो एक आकर्षक रखैल है। (हमने बता कर आपका काम आसान कर दिया।

सलाह- मूवी अवश्य देखिए, हिंसा, सेक्स और गाली-गलौज वाले वेब सीरीज़ के बाद ये आपको सुकून ही पहुंचाएगी। फिर कौन आप टिकट कटा कर देख रहें। अमिताभ बच्चन सहित सभी कलाकार बहुत अच्छे लगे।

Hindi Film-Review by Rita Gupta : 111470956

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now