जाने क्यु कबसे यूं दिल मचल रहा है
कोई दूर है ऐसे जैसे साथ चल रहा है

कुछ कहा ना किसने
ना हमने ना ही उसने
पर बाते सब करली
उस नजर से नजरने
दिन ख्वाबोंसे शुरू ख़यालोमे ढल रहा है
कोई दूर है ऐसे जैसे साथ चल रहा है

कैसी ये रुत है आयी
ना नींद ना अंगड़ाई
किस हकीम से मिलेगी
इस रोग की दवाई
जाड़े का है मौसम पर दिल पिघल रहा है
कोई दूर है ऐसे जैसे साथ चल रहा है

Sagar...✍️

Hindi Poem by सागर... : 111470012

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