मिलते बिछड़ते है
सब ऐसे ही चलते है
भवंर मे यादों के
रोज डूबते उभरते है
सब ऐसे ही चलते है

जीवन का कोई हिस्सा
बन जाता है जब किस्सा
उस किस्से के साये मे
यूँ ही बुझते जलते है
सब ऐसे ही चलते है

एक मोड़पे सब रुक जाए
हाथ सर शरीर झुक जाए
उस पल पीछे मुड़के
किस्मत को तकते है
सब ऐसे ही चलते है

इश्क़ से बड़ी कोई दवा नहीं
बेवफाईका होता कोई गवा नहीं
जिस दवा के असर से
घर बसते उजड़ते है
सब ऐसे ही चलते है

Sagar...✍️

Hindi Poem by सागर... : 111469888

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