सुनो
और कुछ तो नही खोया मैंने
इक तुम्हें खोने के बाद
बस ज़रा लबों से हँसी खो गयी
नींद तो आती है मगर
कहीं सपने खो गए
दिल तो दे गए तुम वापस
मगर उसके अरमां खो गए
प्यार तो अब भी है मगर
बस अहसास खो गए
आँसू तो बेइंतिहा हैं मगर
फिर भी न जाने किसकी
तलाश है इन आंखों को
फूलों की खुशबू तो
बसी है फ़िज़ाओं में मगर
सांसे ढूंढती हैं उसी महक को
यूं भी नही के सब खो गया है
कुछ पाया भी है
होंठो को मिली भीगी मुस्कान
मिला यादों का ज़खीरा
ओस में भीगे अरमान
गजब का मिला अकेलापन
और बेमुरव्वत सी तन्हाईयां भी
साथ चलती हैं अब
मुहब्बत में मिली रुआवाईयाँ भी
यूं भी नही के सब खोया है मैंने
एक तुम्हें खोने के बाद
हाँ बहुत कुछ पाया भी है
बस एक तुम्हें न पाकर
प्रिया

Hindi Poem by Priya Vachhani : 111469615
Priya Vachhani 3 years ago

Thanks a lot friends

shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत सुंदर अभिव्यक्ति...

Brijmohan Rana 4 years ago

बेहतरीन ,शानदार ,लाजवाब ,सृजन ,वाहहहहहहहहहहहह

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