सज रही है आज धरा बारिश के बूंदों से कुछ ऐसे ।

जैसे शोल शनगार सजी दुल्हन सामने आई हो आज जैसे ।

कुसुम्बल रंग सी महक रही आज वो।

पंछी के सुर में चहक रही आज वो ।

फूलो सी खिल उठि है आज वो ।

हवा में खुशबू सी उड़ रही है वो ।

मिलन हुआ है आज उसका बारिश से कुछ ऐसे

जैसे क्षतिज पे सूरज का नदी से और रात में चकोर का चाँदनी से ।

DR.DIVYA

Gujarati Poem by Dr.Divya : 111468796

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now