#लायक़

रिमझिम बूंदों की सफर में कुछ ऐसा हो जाए
लायक नहीं है हम फिर भी वो बचपन के वह
दिन मिल जाए..

आसमान में से छोटी बुंदे पानी की गरज के
साथ बरस रही है पहले बारिश की मिट्टी की
खुशबू वो मनुष्य पशु पंखी मोहित कर रही है
छोटे हाथों में कुछ बारिश की बूंदे पकड़ रहे थे

कहते हैं कागज की कश्ती का कोई किनारा नहीं होता बहती हे जहां पानी की धारा बहती है बस
हमारे हाथों मे वह कागज की कश्ती मिल जाए खोई हुई खुशियां ,मुस्कुराहट फिर से लौट आए ।

छोटी सी पाठशाला के दिन फिर से लौट आए
जहां गुरुजी अच्छी बात की शिक्षा देते थे और
कुछ वह दोस्त जिनके साथ में की शरारत और शिकायत का दौर आज अभी फिर से लौट आए

रिमझिम बूंदों की सफर में कुछ ऐसा हो जाए
लायक नहीं है हम फिर भी वो बचपन के वह
दिन मिल जाए..

Hindi Poem by Sunil N Shah : 111466720
Sunil N Shah 4 years ago

में कुछ अच्छा ही लिख रहा था परंतु सुबह थोड़ा समय कम मिला । परम वादा करताहू अवश्य में इससे भी बहुत ज्यादा अच्छा लिखूंगा.. आप सभी की लाइक से मेरी रिस्पोंसिबिलिटी बढ़ जाती है। मैं आप सभी का आभारी हूं...🙏 All Respected People 🙏

shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत मार्मिक चित्रण एवम मौसम कि स्थिति के अनुसार...

Parmar Geeta 4 years ago

બહોત ખૂબ.. 👌

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