#Kavyotsav2
एक छोटी सी चिंगारी
बन शोला दहक उठती है
तो कभी आँच बनकर
वही रोटियां भी सेकती
भाव मन के तुम भी
आँच सा सुलगा लो
सार्थक करो जीवन अपना
किसी की निर्वहन बन जाओ
व्यग्र, उग्र, शांति
उल्लास, राग, आस्था
प्रीत, द्वेष, संवेदना
सहायता, क्षमा या रोषना
सब ही मन के खेल रे
तुम चुन लो उपासना
करो इंसानियत की साधना
साधक बनो परिवार में
मुनि बनके मिलो व्यापार में
धर्म नहीं केवल देवालय में
न मस्जिद चर्च से केवल आलय में
राह में अबला नारी का डर
तेरे धर्म को पुकारती
मासूम के खाली आँखे जब
रोटी को तरस निहारती
तुम धर्म तब अपना याद करो
इंसान हो तो
कर्ज़ इंसा का वहाँ अदा करो
वृद्ध असहाय कंधों को
तुम बन लाठी कभी मिलो
ना करो अत्याचार कभी कि
हर प्राणी हम सी तुम सी रचना है
प्रकृति को यूँ सदा सहेजो
इंसान के हित हेतु ही संरचना है
मिलो सदा ऐसे ही कि
धर्म भी तुमपे नाज़ करे
हे मानव बन जाओ इंसां
काल करे सो आज करे.

@कीर्ति प्रकाश

Hindi Poem by RJ Kirti Prakash  All India Radio Mumbai : 111465379
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत मार्मिक चित्रण...

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