चूड़ियां केवल चूड़ियां नहीं होती और ना ही केवल श्रृंगार के लिए प्रयोग की जाने वाली कोई वस्तु हैं।
प्रेयसी की कलाई में चूड़ी जब खनकती है, तो उसकी मधुर तान प्रेमी के हृदय में झंकृत हो उठती है। वह प्रेम के योग की साधना कर प्रेम की और गहराई में गोते लगाने लगता है। वह स्वयं को उस मधुर झनकार में समाहित कर देता है। प्रेमी को इन खनकती चूड़ियों से उतना ही प्रेम होता है, जितना प्रेयसी से।
चित्र- हमारा ही है
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