प्रकृति के असन्तुलित होने में वनस्पति का नष्ट होना मुख्य रूप से तथा वायु प्रदूषण ,जल प्रदूषण,मृदा प्रदूषण आदि कारक प्रभावी रूप से जिम्मेदार हैं इनको किसी प्रकार से नियंत्रण मे करना अति आवश्यक है। हर इंसान को पता है कि पेड़ पौधे लगाने से प्राकृतिक असुंतलन को कम किया जा सकता है । पर समस्या ये है कि जब शहरों में घर मकानो का स्थान ही इतना पर्याप्त नही हो पा रहा है तो पेड़ों के लिए स्थान कहाँ से लाये । और तो और जो सड़क के किनारे वृक्ष लगे भी थे उनको भी हटा दिया गया परिवहन अवरोध के चलते । कुल मिलाकर देश मे सरकार द्वारा वनस्पति के स्थान के लिए एक व्यवस्थित प्रावधान लाने की आवश्यकता है जिसमे मानव सभ्यता के विकास के साथ साथ वनस्पति के बारे में भी गहन सोंच विचार की अवधारणा बन सके ।
मेरे विचार से कही पर भी यदि 1 वृक्ष,पेड़ काटना आवश्यक हो तो रिक्त स्थान पर 5 पेड़,पौधे लगाना अतिआवश्यक हो जाए इससे बेहतर परिणाम मिलेगा।
उदाहरण के तौर पे
माना कि 1वर्ष मे किसी क्षेत्र विशेष मे 1000 पेड़ काटना पड़ता है तो उसके स्थान पर 5000 पेड़ नये किसी अन्य स्थान पर निरूपित किये जायें और इन पेड़ों की सुरक्षा तथा रख रखाव तब तक करनी चाहिए जबतक ये मजबूत न हो जायें भले ही इस कार्य के लिए कोई अलग विभाग ही क्यों न बनाना पड़े जो नियमित भी हों ।
इसी तरह यदि आगे 10 वर्षो तक यही प्रक्रिया जारी रही तो 10 वर्षो में कुल कटे पेड़ 10 हज़ार और नये कुल निरूपित 50 हज़ार पेड़ होंगे जबतक अगले 10 वर्षो में और 10 हजार पेंड़ कटेगे तबतक हमारे आस पास 50 हज़ार पेंड़ 10 साल बड़े हो चुके होंगे और 50 हज़ार नए पेड़ लग चुके होंगे तथा एक समय ऐसा आयेगा जब कटे पेड़ो से कई हज़ार गुना पेड़ समुचित स्वैच्छिक नए स्थानों पर होगें जिससे चारो तरफ हरियाली ही हरियाली होगी और सबसे अहम बात यह है कि इन पेड़ो से शहरी करण के साथ साथ सौन्दर्यीकरण भी स्वतः हो जायेगा। फिर शुद्ध वायु की भरपूर मात्रा होगी और तापमान मे गिरावट आयेगी और जब वायु का वेग सन्तुलित पर्याप्त मात्रा मे होगा तो सन्तुलित बारिश होगी जिससे भूमि का जलस्तर बढ़ेगा और भूमि उपजाउ और मजबूत होगी इसके साथ साथ देश की आर्थिक स्थिति मे दृढ़ता आयेगी। जन-जीवन खुशहाल और वातावरण शान्त होगा। क्योंकि मात्र वनस्पति ही प्रकृति के सन्तुलन का एकाकी साधन है । और इसका सन्तुलन मे रहना बेहद जरूरी है।