"पचपन खंबे, लाल दीवारें"

हजार ग़मों के बीच
बस यही एक राहत....,
बचपन की आधी-अधूरी सी
एक दिलकश याद...,
लंबे इंतज़ार के बाद...,
और इसके बाद 'नील','नीलाभ'
नाम...पसंदीदा नाम बन गए
जो आज तक हैं....
प्रांजल,
05/06/20,10.30A

Hindi Blog by Pranjal Shrivastava : 111461767

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