कुछ कहना है कुछ सुनना है ,कुछ बातें अभी अधूरी है।

कुछ तू भी मुझमें छूटा है, कुछ मै भी तुझमें छूटी हूँ।

आ मिलकर शिकवे खत्म करे, कुछ तू भी मुझसे रुठा है, कुछ मै भी तूझसे रुठी हूँ।।

सुषमा मिश्रा ललित

Hindi Shayri by Lalit Mishra : 111460549

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