मैं जो प्यार छोड़ जाऊँगा
तुम उसे देखना
सुरीले स्वर में गा
उसे आवाज दे देना।
कुछ कदम उसके पीछे चल
लौट जाना दैनिक कामों में,
पहाड़ की ऊँची चोटी से
आकाश तक उसे खोजना।
मैं जो प्यार छोड़ जाऊँगा
उसके आकार को
विराट बना देना,
उसकी कथा में
अपने सपनों को बो देना।
उसकी सुगन्ध में
बहा देना कुछ क्षण,
उसकी आत्मा में
मिला देना पूर्ण जीवन।
मैं जो प्यार छोड़ जाऊँगा,
उसे शुद्ध हवा में मिला देना।
**महेश रौतेला