ये इत्तिफ़ाक़ हो कभी,
तू मुझे कहीं मिल जाए,
रातों की ख़ामोशी हो,
रस्ता तेरा मुझे दिख जाए ।
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तेरे दिल की हुक़ूमत में,
मैं भी हो जाऊं आबाद,
तेरी मिल्कियत में रहूं,
वोह तेरा शहर मुझे दिख जाए ।
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उस चांद का सफ़र है आसान,
पता तेरा आसान नहीं,
इत्तिफ़ाक़ हो फ़िर से सही,
मंज़िल मेरी मुझे कहीं दिख जाए ।
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Hindi Poem by Ridj : 111458741

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