"पापा"
पापा इतने पैसे भेजवाया न करो।
मुह फेर कर आंसू बहाया न करो।
मैं जानता हूँ पापा दर्द तुम्हारा
कितना बड़ा है बोझ तुम्हारा
खुद को इतना विवस पाया न करो।
पापा इतने पैसे भेजवाया न करो।

कुछ ही वर्षों का दर्द है पापा
तेरे दर्द की कीमत मैं चुकाऊंगा
जब कलेक्टर बन घर आऊंगा
तब दीदी की शादी करवाऊंगा
छोटे भाई को डॉक्टर बनवाऊंगा
बातें कर मम्मी को रुलाया न करो।
पापा इतने पैसे भेजवाया न करो।

डांट कर मुझको रोज उठाया
भविष्य के मेरे सपने सजाया
मेरे लिए मंहगे सूट सिलवाया
खुद के कपड़े सस्ते बनवाया
कार की जगह बाइक चलाया
पापा ज्यादा प्यार जताया न करो।
पापा इतने पैसे भेजवाया न करो।
किताब-'सत्य के छिलके' कविता संग्रह से
रचनाकार:-शिव भरोस तिवारी 'हमदर्द'

Hindi Poem by shiv bharosh tiwari : 111455558

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