उम्मीद का परिंदा
बड़ा मासूम होता है।
कब किस पेड़ पर,
बैठ जाये उसे खुद भी कहाँ मालूम होता है।
और तुम्हारे पेड़ की टहनी पर,
गर घोंसला बनाये वो...
तो ज़रा दाना पानी भी दे देना,
ताकि उसे तुम से थोड़ा सा प्यार हो जाए
नहीं तो वो एक बार जो उड़ गया,
फिर कभी वापस ही नहीं लौटता है।
ये उम्मीद का परिंदा
बड़ा मासूम होता है,
बड़ा मासूम होता है।
-Akash #घोंसला

Hindi Poem by Akash Saxena

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