यूं ही सोच रहे थे,
कि यह ख्याल आया।
आज फिर से उस गली जाने,
का विचार आया।
आज भी नहीं बदला,
था रूपरंग उसका।
देख कर फिर से उसको,
हमारी, आंखों में नूर आया।


#नूर
#Matrubharti

Hindi Shayri by Vandan Patel : 111454591

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