धुप में मुश्किलों की जल रहा हूँ में !
छाव दीखे न कही और मंझिल भी बेनज़र है !
फिर भी बढे चला हूँ !
जान कर ये अनजान सफर है !
आंधीयो की काँटों भरी राह है
आजमाऊ कौन इस पल साथ निभाए !
हमसफ़र तो है कई
पर साथी-ऐ-ईमान कोई मील जाये !

Hindi Thought by Prashant Vyawhare : 111454420

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