#घोंसला

इस हवा,पानी की लड़ाई में,
वो प्यारा घोंसला बली चढ़ गया।
हवा ने गिराया और पानी ने भिगाया,
पर घोंसला बाकी कुछ फिर भी रह गया।
बुन तो फिर लेता कोई उसे..
लेकिन वो कुछ यूं उजड़ गया,
कि उसमें रहने वाला वो नन्हा परिंदा...
उड़ने से पहले ही,बेमौत मर गया।
और सूना सिर्फ अब घोंसला नहीं,
वो पूरा पेड़ ही वीरान हो गया।
इस हवा,पानी की लड़ाई में,
वो प्यार घोंसला बली चढ़ गया,
वो प्यार घोंसला बली चढ़ गया।

Hindi Poem by Akash Saxena

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now