✈️विमान ✈️
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कोरे कागज से मैंने जब ,
सुंदर विमान बनाया था
भावना के ईंधन से जब
आसमान में उड़ाया था।

पवन के संग संग वो उड़ा,
पर्वत से बच कर निकाला,
उम्मीदों के दम पर जब उड़ा,
विपदाओं से बच कर निकला।

दरिया - सागर आये कई,
उड़ान उसकी पर रुकी नही,
उमंगें मन में भरी हैं जब कई,
उसको फिर रोक पाये कोई नहीं।

बादल धुंध के जब छाये थे,
हम थोड़ा घबराये गये थे ,
चीर के बादल को वो आगे बढ़ा,
देख मेरा हौसला और बढ़ा।


हमने भी मन में ये ठानी है,
विपदाये तो आनी जानी है,
हम अब कभी भी रुकेगें नहीं,
हौसला कभी भी कम होगा नहीं।

उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित

Hindi Motivational by Uma Vaishnav : 111453842
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

अत्यंत.. सुंदर.. सृजन शैली...

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