जब -
नियमों में बंधा
हुआ दिमाग
थक जाता है
उकता जाता है
ऊब जाता है
चलते चलते
एक ही लकीर पर

तब -
ये मौजी मन
ढूंढने लगता है
बहाने नियम तोड़ने के
और
फ़िर कहीं भीतर
लुका छुपा शरारती बच्चा
झांकने लगता है बाहर
कायदों की कैद से
और
अलमस्त हो
झूमने लगता है ...

:- भुवन पांडे

#शरारती

Hindi Poem by Bhuwan Pande : 111452175

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