लिखने का शौक़ नहीं मुझे,
लेकिन अपना दर्द बयां कहाँ करुं,
इसलिए अपना दर्द पन्नों को सुनाया करती हूं,
वहीं दर्द,
कभी कभी कवित्त बन जाता है,,
और मैं कवि

Hindi Poem by सिद्ध साहित्य : 111451237

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