#### शक्तिशाली####

कहां वो शक्तिशाली थी वो शक्ति स्वरूपा नारी थी
कोमल थी वो निर्मल थी ममता की वो मूरत प्यारी थी

भैया की कलाई की राखी थी संबंधों से बंधी डोर थी
रिश्तों को निभाने के लिए खुद से समझोता वो करती थी

निडर थी वो पर रिश्तों को खोने से डर जाती थी
रिश्तों को निभाने के लिए बिना बात के झुक जाती थी

अपने स्वमान के लिए लडजाती शक्तिशाली बन जाती थी
नारी तु नारायणी बन जाती है शक्तिस्वरुपा कहेलाती थी
✍️ Aradhya ba

Hindi Blog by Aradhyaba : 111450619

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