ज़िन्दगी जीने की कुछ इस तरह सजा मिली।
आंखो को आंसूओं की सौगात मिली।।
जीते रहे हम जिनके लिए उम्र भर।
चोट दर चोट उनके ही हाथ मिली।।
© निमिषा

Hindi Shayri by Nimisha : 111450364

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now