अरे,तू!
क्यो आई कुंए पर पानी भरने,उतर नीचे, तेरी वज़ह से कुंए का पानी अपवित्र हो जाएगा।
और साथ में खड़ी औरतों ने भी चिल्लाना शुरू कर दिया,आज ही पंचायत बैठाओ, गांव में इसका हुक्का-पानी बंद करो और बिरादरी से भी बेदखल कराओ।
और वहां खड़ी औरतों ने अपने कच्चे घड़े तोड़ दिए, ये कहकर कि ये तो छूत के हो गए हैं।
कजरी अपना सा मुंह लेकर,रोती हुई चली गई__
हुआ यूं कि कजरी का पति रामू शहर में बन रही, ऊंची बिल्डिंग में काम कर रहा था,करीब बारह मंजिल से काम करते वक्त उसका पैर फिसल गया और गिरते ही प्राण-पखेरू उड़ गए, फिर कजरी अपने बच्चों के साथ गांव लौट आई,एक आंख से काना,पति से पांच साल बड़ा जेठ था,जिसकी एक आंख की वज़ह से शादी नहीं हुई थी, कजरी के पास भी कोई सहारा नहीं था तो उसके साथ पत्नी की तरह रहने लगी,इसी बात से गांव वाले नाराज़ हैं____
पंचायत बैठी लोगों ने कहा,ये बदचलन है, अपने जेठ के पास बैठ गई,ना जाने कैसे -कैसे लांछन लगाये,उस पर___
सरपंच ने कहा, बोल कजरी, कुछ कहना है अपने पक्ष में___
अब कजरी ने बोलना शुरू किया............
क्यो? ठाकुर साहब,जब आपके बेटे ने उस किसान की बेटी का बलात्कार किया था,तब तो उसे किसी ने बेदखल नहीं किया,क्यो बनिया,जब तेरी बेटी केवट के बेटे के साथ मुंह काला करके भाग गई,तब तो तुझे बेदखल नहीं किया गया और कुसुम तू आज कुंए पर जो बड़ी बड़ी बाते कर रही थी, तेरे पति ने भी उस दिन खेत पर मेरा हाथ पकड़ा था तो मेरे जेठ ने ही मुझे बचाया था, अब कर दे उसे भी अपनी जिंदगी से बेदखल, बड़े लोग बड़ी - बड़ी बातें, कजरी ने अपने बच्चों को उठाया और जेठ का हाथ पकड़कर चली गई भरी पंचायत से,सब मुंह देखते रह गए।
सरोज वर्मा_____🍁